मैं जब २५ साल की थी. मैं उस समय झाँसी में रहती थी. मेरी जयपुर मैं नई नई नौकरी लगी थी। मुझे २ दिन बाद जयपुर जाना था. पापा ने अपने ऑफिस का ही एक काम करने वाला, जो जयपुर में रहता था, उसे मेरे साथ में भेजने के लिए तैयार कर लिया था।
घर की बेल बजी तो मैंने बाहर निकल कर देखा एक सजीला २५ -२६ साल का लड़का बाहर खड़ा था। मैंने पूछा - "कहिये ... किस से मिलना है ..."
उसने मुझे देखा तो वो बोल उठा -"अरे नेहा ... तुम यहाँ रहती हो .."
"हाय ... तुम अनिल हो ... आओ अन्दर आ जाओ ..." उसे मैंने बैठक मैं बैठाया।
अनिल मेरे साथ कॉलेज में पढ़ता था. उसने बताया कि वो अब पापा के ऑफिस में काम करता था।
"अंकल ने बुलाया था ... जयपुर कौन जा रहा है .."
" मैं जा रही हूँ ..."
"अंकल ने मुझे आपके साथ जाने को कहा है .... रिज़र्वेशन के लिए बुलाया था ... मैं भी २ दिन बाद जा रहा हूँ "
मैंने सोचा कि कॉलेज में जब पढ़ते थे तो तब तो ये मेरी तरफ़ देखता भी नहीं था। उसे देखते ही मन में पुरा्नी यादें उभरने लगी। अनिल मुझे आरम्भ से अच्छा लगता था। अब जयपुर तक साथ जाएगा तो इसे छोडूंगी नहीं ।
मैंने कहा - "आगे का स्लीपर लेना है ... वरना बस में परेशान हो जायेंगे। झाँसी से जयपुर लंबा सफर है "
"ओके तो २ दिन बाद के स्लीपर लेना है ...अंकल को बता देना "
अनिल चला गया। अब मैं अपने प्लान बनाने लगी .... मुझे सब समझ में आने लगा कि अनिल को कैसे पटाना है।
हम बस स्टैंड पहुच गए। बस में अनिल पहले से ही नीचे वाली डबल सीट पर बैठा था। मेरे आते ही वो खड़ा हो गया और बाहर आ गया। अभी बस जाने में १५ मिनट बाकी थे, मैंने आज सलवार और कुरता पहन रखा था पर पेंटी नहीं पहनी थी। इस से मेरे चूतड़ में लचक अधिक दिख रही थी। अनिल ने मेरे चूतड़ों को बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखा मैं तुंरत भांप गयी। मैं अब कुछ ज्यादा ही उत्साहित हो गयी।
"बड़ी सुंदर लग रही हो .."
"थैंक्स ..... अनिल ... सीट नम्बर क्या है "
"आगे वाले पहले दो स्लीपर है ... सिंगल नहीं मिला "
मन में सोचा ... ये अनिल की शरारत है। पर मुझे तो मौका मिल गया था। ऊपर से गुस्सा हो कर बोली -"मैंने तो सिंगल के लिए कहा था ....... पर ठीक है .."
"अरे यार ...खूब बातें करेंगे ...... साथ रहेंगे तो ।"
बस का टाइम हो गया था, पापा मुझे छोड़ कर जा चुके थे। हम दोनों सीट पर आ गए आगे से दूसरे नम्बर की सीट थी। पहले मैं जा कर खिड़की के पास बैठ गयी फिर अनिल भी बैठ गया। बस खाली थी झाँसी से बस ग्वालियर तक खाली रहती है पर ग्वालियर में सब सीट फुल हो जाती है।
कंडक्टर से अनिल ने ग्वालियर तक सीट पर बैठने की परमिशन ले ली थी. अँधेरा हो चला था। सड़क की बत्तियां जल उठी थी। शाम के ठीक ७ .३० बजे बस रवाना हो गयी।
हम दोनों कॉलेज के टाइम की बातें करने लगे। दतिया स्टेशन क्रॉस हो चुका था। मैंने अपनी चादर और पानी की बोतल बगल में सीट पर रख दी और थोड़ा अनिल से सट कर बैठ गयी।
मेरे और अनिल की टांगे आपस में रगड़ खा रही थी। उसकी जांघों का स्पर्श मेरी जांघों पर हो रहा था। मैं अब जान कर बस के मुड़ने पर उस पर गिर गिर जाती थी। और उसकी जंघे पकड़ कर सीधी हो जाती थी। इतने में बस की लाइट जल गयी। मैंने पीछे मुड कर देखा तो थोड़े से लोग सीट पर बैठे झपकियाँ ले रहे थे अचानक लाइट बंद हो गयी।
अब बस में पूरा अँधेरा था. मैंने आंखे बंद कर ली और सर पीछे करके बैठ गयी। इतने में मुझे महसूस हुआ कि मेरी जांघ पर अनिल के हाथ का स्पर्श हुआ है। पजामे के ऊपर मेरी मुलायम जांघों को उसका हाथ छू रहा था, मैं सिहर उठी।
मुझे लगा अब अनिल चालू हो गया है पर मैं चुपचाप रही। उसने अपना हाथ सहलाते हुए आगे बढाया और हौले से दबा दिया, मुझे करंट लगने लगा था। मैंने आँखे खोल कर उसकी और देखा वो जान कर आंखे बंद करके ऐसा कर रहा था। उसने हाथ चूत कि तरफ़ बढ़ा दिया।
मौका हाथ से निकल न जाए इसलिए मैं चुप ही रही और टांगे थोडी चौड़ी कर दी। अब उसका हाथ मेरे चूत की फांकों पर आ गया था। मैंने अब उसका हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ़ खींच लिया और उसे धीरे धीरे अपने स्तनों की तरफ़ ले जाने लगी। अनिल ने मेरी तरफ़ देखा। मैं भी उसकी नजरों में झाँकने की कोशिश करने लगी।
उसने अपना चेहरा मेरी तरफ़ बढ़ा दिया। मैंने भी धीरे से उसके होंट पर अपने होंट रख दिए। वो मेरे होंटो को चूमने लगा। मैंने भी जवाब में उसके होंटों के अन्दर अपनी जीभ डाल दी। उसके हाथ मेरे स्तनों पर आ चुके थे। अनिल ने मेरे बूब्स हौले हौले दबाना चालू कर दिए।
मेरी आँखे मस्ती में बंद होती जा रही थी। मेरा हाथ उसके लंड की तरफ़ बढ़ चला। पेंट के ऊपर से ही लंड की उठान नजर आ रही थी, मेने उस को ऊपर से ही सहलाना चालू कर दिया। ऐसा लगा जैसे उसका लंड पेंट फाड़ कर बाहर आ जाएगा .....
अनिल के हाथ मेरे शरीर को दबा दबा कर सहला रहे थे। मेरी उत्तेजना बदती जा रही थी मैंने उसकी पेंट का जिप खोला और अन्दर से लंड पकड़ लिया। वो अन्दर अंडरवियर नहीं पहना था लगा की वो भी इसी तय्यारी के साथ आया था।
"हाय रे मसल दो ..... हाय .... तुमने अंडरवियर नहीं पहनी है ..."
"नहीं ... मैंने तो जान कर के नहीं पहनी थी ... पर तुमने भी तो नहीं पहनी है ..."
" मैंने भी जान बूझ कर नहीं पहनी थी ..." तो आग दोनों तरफ़ लगी थी .....
मैंने खींच कर उसका लंड पेंट से बाहर निकल लिया। मैंने झांक कर इधर उधर देखा। सभी आराम कर रहे थे बस तेजी से मंजिल की और बढ़ रही थी।
उसका लंड देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया मैंने उसके सुपारी के ऊपर की चमड़ी को ऊपर चढा दिया। उसकी लाल लाल सुपारी खिड़की से आ रही लाइट से बार बार चमक उठती थी। मैंने सर झुकाया और उसकी सुपारी अपने मुंह में ले ली।
और उसका लंड नीचे से पकड़ कर मुठ मारना चालू कर दिया मेरी हालत भी कुछ कम नाजुक नहीं थी। मैंने भी अपने पजामे का नाडा खोल दिया था।
अब वो पीछे से हाथ बढ़ा कर मेरी गांड की गोलाईयों को दबा रहा था। उसके हाथ मेरे चूतड की दरार में भी घुसे जा रहे थे. पर मैं बैठी थी और आगे झुकी हुयी थी इसलिए उसे चूत के दर्शन नहीं हो रहे थे हम दोनों के हाथ बड़ी तेजी से चलने लगे थे।
उसने मेरी चूचियां मसल मसल कर मुझे बेहाल कर दिया था। मेरे मुंह में लंड था इसलिए मैं आह भी नहीं निकाल पा रही थी।
अनिल ने धीरे से कहा -"नेहा ...बस करो ... छोड़ दो अब "
" नहीं ... अभी नहीं ..राम रे ...मजा आ रहा है ..." मैंने उसकी सुपारी जोर से चूसने लगी और साथ ही जोर से मुठ मरने लगी। वो अपने को रोक नहीं पा रहा था. दबी जबान से मस्ती के शब्द निकाल रहे थे ....."अरे .. बस ...अब नहीं .... बस ..बस .... हाय ... निकल रहा है ..नेहा ..."
कहते हुए उसका लावा उबल पड़ा और रुक रुक कर पिचकारी छोड़ने लगा। मेरे मुंह में उसकी सुपारी तो थी ही। मेरे मुंह में रस भरने लगा मैंने गट गट कर पूरा पी लिया .... और चाट कर साफ़ कर दिया।
मैं अब बैठ गयी उसने भी अपने कपड़े ठीक कर लिए मैंने भी पजामे को ठीक करके नाडा बाँध लिया। ग्वालियर में बस पहुँच चुकी थी बस की लाइट जल उठी बस स्टैंड पर आ कर रुक गयी।
कंडक्टर कह रहा था.... "१५ मिनट का स्टाप है ..... नाश्ता कर लो .....सभी अब अपने अपने स्लीपर पर चले जाए .."
हम दोनों बस से उतर गए. और कोल्ड ड्रिंक पीने लगे.
"नेहा .. मजा आ गया ... तुम्हारे हाथों में तो जादू है ....."
"और तुम्हारे हाथो ने तो मुझे मसल कर ही रख दिया ....." मैं मुस्कराई.
'मेरा लंड कैसा लगा ......."
"यार है तो खूब मोटा ......पर जब चूत में जाएगा तो पता चलेगा ..कि कैसा है .."
दोनों ही हंस पड़े।
बस का टाइम हो रहा था। हम दोनों बस में स्लीपर में घुस गए, और नीचे वाली दोनों सीट खाली कर दी। स्लीपर में हमने चादर साइड पर रख ली और दोनों लेट गए बस फिर से चल दी मुझे अभी चुदवाना बाकी था।
मैंने कहा -"अनिल मैंने नाडा खोल लिया है ....... तुम भी पेंट नीचे खींच लो न. ."
अनिल खुशी से बोला "चुदवाने का इरादा है ...... ठीक है .."
अनिल ने स्लीपर का परदा खेंच कर बंद कर दिया. इतने में बस की लाइट भी बंद हो गयी।अनिल ने अपना पेंट नीचे खीच दिया अब हम दोनों नीचे से बिल्कुल नंगे थे। अनिल ने चादर अपने ऊपर डाल ली और मुझे कमर से खींच कर मेरी पीठ से चिपक गया।
मेरी चिकनी गांड का स्पर्श पा कर उसका लंड फिर से हिलोरें मरने लगा। बार बार मेरी चूतडों की फांकों में घुसने की कोशिश करने लगा। मैंने मुड कर उसकी तरफ़ देखा तो अनिल ने प्यार से मेरे गलों को चूम लिया और नीचे गांड पर जोर लगाया उसका लंड मेरी दोनों गोलाईयों को चीरता हुआ मेरी गांड के छेड़ से टकरा गया।
मुझे लग रहा था कि वो जल्दी से अपने लंड को मेरी गांड में घुसेड दे। मैंने एक हाथ बढ़ा कर उसके चूतड पकड़ लिए और अपनी तरफ़ जोर से चिपका लिया। अनिल ने भी अपनी पोसिशन ली और अपने लंड को गांड के छेड़ में दबा दिया। उसकी सुपारी गांड में फक से घुस गयी।
मेरे मुंह से आह निकल गयी, उसने अपना लंड थोड़ा बाहर खींचा और फिर से एक झटका दिया। लंड अन्दर घुसता ही चला जा रहा था।
जैसा जैसा वो धक्के मरता लंड और अन्दर बैठ जाता लंड पूरा घुस चुका था। अब अनिल रिलाक्स हो गया। और लेट गया अब वो मजे से गांड चोद रहा था मुझे भी अब मजा आने लगा था उसके धक्के अब तेज होने लगे थे।
अचानक उसने मुझे सीधा लेटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरी चूत में अपना लंड घुसेड दिया। लंड बस के झटको और धक्कों से एक बार में अन्दर तक बैठ गया मैं खुशी के मारे सिसकारी भरने लगी।
"धीरे .... नेहा ...धीरे ..."
"अनिल ..मैं मर जाऊंगी ...हाय ..." उसने मेरे होटों पर होंट रख दिए जिस से मैं कुछ न बोल सकूँ .....
मेरी उत्तेजना बढती जा रही थी. मैंने अपनी चूतडों को हिला हिला कर जोर से धक्कों का उत्तर धक्कों से देने लगी. अब मुझे लगाने लगा कि मैं झड़ने ही वाली हूँ।
नीचे आग लगी हुयी थी ....... मेरी चूत में मीठी मीठी गुदगुदी तेज हो उठी मन में सिस्कारियां भर रही थी।
अब लग रहा था कि अब मैं गयी ......मैंने चूत को ऊपर दबाते हुए जोर से पानी छोड़ने लगी।
मेरा मुंह उसके होटों से चिपका था कुछ बोल नहीं पाई और अब पूरा पानी छोड़ दिया। उधर अनिल ने भी अपनी रफ़्तार तेज कर दी। मैं झड़ चुकी थी और अब उसका लंड का मोटापन और उसका भारी पन महसूस होने लगा था। अचानक ही उसके लंड का दबाव मेरी चूत में बहुत बढ गया।
मेरे मुंह से चीख निकल कर उसके होटों में दब गयी। मुझे अपनी चूत में अब गरम गरम रस निकलता हुआ महसूस होने लगा। उसके वीर्य की गर्माहट मुझे अच्छी लगने लगी अनिल निढाल हो कर मेरे पास में लुढ़क गया। उसका वीर्य मेरी चूत में से बह निकला। मैंने चादर को अपनी चूत पर लगा दी वीर्य रिसता रहा मैं उसे पोंछती रही।
अचानक लगा कि कोई सिटी आने वाला है मैंने अनिल को उठाने के लिए हिलाया पर वो सो चुका था मैंने अपने कपड़े ठीक कर लिए।
और अनिल के पेंट को ठीक करके उस पर चादर ओढा दी बस रुक चुकी थी। धौलपुर आ गया था, यहाँ पर यात्री डिनर के लिए उतरते हैं पर मैं एक करवट लेकर अनिल से चिपक कर सो गयी.............
contact me at chiragkumarblog@gmail.com
free recharge free recharge code generator free recharge mobile balance free recharge tricks free recharge coupons free mobile recharge free recharge sites free recharge airtelSavita Bhabhi Episodes Hindi Sex Stories English Sex StoriesBengali Sex Stories Punjabi Sex Stories Gujarati Sex Stories Tamil Sex Stories Telugu Sex Stories Malyalam Sex Stories
ReplyDeleteमेरे 9 each ka मोटा लंड को chut me लो aapki chut को chosse है 9584665458 wtaapnumer है pls sex की लियि sacvice bhi deta हूक koi gilrs को chodne होक तो call me
ReplyDeleteEscorts In Hyderabad
ReplyDeleteCall Girls In Hyderabad
Hyderabad Escorts
Escorts In Hyderabad
Call Girls In Hyderabad
Hyderabad Escorts
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete