Wednesday 30 January 2013

पुरानी क्लासमेट - अदिति



अदिति पुलिस की ट्रेनिंग पूरी करके अपनी बुआ के यहाँ आई हुई थी। यह शहर भोपाल से 30 किलोमीटर दूर था। अदिति ने भोपाल रेलवे स्टेशन से हैदराबाद जाने के लिए रात को गाड़ी पकड़नी थी। उसका फ़ुफ़ेरा भाई विशाल अदिति को लेकर बस स्टैन्ड आया हुआ था। इतने में विशाल का दोस्त सुनील अपनी सूमो से जाता हुआ दिखाई दिया। उसने उसे आवाज दे कर रोक लिया। उसने पूछा तो उसने बताया कि उसे भी भोपाल जाना था। विशाल ने बताया कि अदिति को भोपाल जाना है, उसे स्टेशन पर छोड़ देना। भला सुनील को क्या आपत्ति हो सकती थी।


रास्ते में सुनील ने अदिति को ध्यान से देखा तो उसे याद आ गया कि वो कॉलेज में उसके साथ पढ़ती थी। उसने अदिति को याद दिलाने की कोशिश की।


"सुनील जी, आप बिना मतलब के परेशान हो रहे हैं ... दोस्ती बढ़ाने का ये भी कोई तरीका है?""ओह सॉरी, मुझे लगा आप को याद आ जायेगा !"


"तो लाईन मारने का और कोई तरीका नहीं है आपके पास? वैसे मैं बता दूँ कि मैं पुलिस सब इन्स्पेक्टर हूँ ... और मुझसे डरने की आपको कोई जरूरत नहीं है।"सुनील हंस दिया, और गाड़ी चलाने मग्न हो गया।


"आपको शायद शिन्दे सर याद नहीं है जिन्होंने आपको क्लास से बाहर निकाल दिया था !"


अदिति ने उसे एक बार फिर देखा... और मुस्करा उठी..."तो जनाब ने मुझे याद दिला ही दिया ... "


उनकी बातों का दौर चल निकला। रास्ते भर अपने विद्यार्थी-जीवन को याद करके खूब हंसते रहे। भोपाल पहुंचने पर सुनील ने पता किया कि गाड़ी सात घण्टे देरी से चल रही है... यह जान कर अदिति परेशान हो गई कि इतना समय कैसे बितायेगी?


"मेरा घर यहां से पास में ही है, बस पांच मिनट की दूरी पर... आप वहाँ आराम कर लें, फिर खाना वगैरह भी खा लेंगे। देखो तीन तो वैसे ही बज जायेंगे।"


अदिति ने कहा कि घर वालों को मेरी वजह से परेशानी होगी... वो जैसे तैसे स्टेशन पर ही समय बिता लेगी। सुनील ने जोर दिया तो वो राजी हो गई। घर जाने से पहले उसने रास्ते से कुछ खाना ले लिया और घर पहुँच गये। सुनील ने ताला खोला और दोनों अन्दर आ गये।


"घर पर तो कोई नहीं है..."


"हाँ, वो सब तो गांव गये हुये है, तीन चार दिन बाद आयेंगे... खैर आप आराम करें।"सुनील अन्दर जाकर रम की बोतल ले आया और आराम से पीने बैठ गया।"क्या दारू पी रहे हो ... ?"


"हां यार... थोड़ा सा पी लूँ तो थकान दूर हो जायेगी ... तुम तो नहीं लेती होगी?""दोगे नहीं तो कैसे लूंगी भला ... यार तुम तो बौड़म हो ... तुम्हें तो शिष्टाचार भी नहीं आता है।"अदिति ने मुस्कराते हुये कहा।


सुनील बहुत देर से अदिति के बारे में ही सोच रहा था। उसका कसा हुआ बदन, उसकी टी-शर्ट में उभरे हुये उत्तेजक उभार ... पर वो पुलिस वाली थी, इसी वजह से उसकी गाण्ड भी फ़ट रही थी। 


उधर अदिति भी सुनील जैसे गबरू जवान को देख कर फ़िसली जा रही थी। अदिति को बस यही दारू वाला मौका मिला था ... सोचा कि एक घूंट पीकर उसकी गोदी में बैठ जाऊंगी और नशे का बहाना बना कर उससे चुद लूँगी। सुनील अन्दर से कोक में रम मिला कर ले आया।


"हम्म, स्वाद तो अच्छा है...!" वो पीते हुये भोजन भी करने लगी।"और लोगी...?"

"हाँ यार, मजा आ गया ... और मुझे नाम से बुला... अपन तो साथ के हैं ना !"सुनील ने पैग बना दिया और शराब ने कमाल दिखाना शुरू कर दिया। खाना समाप्त करके सुनील ने पूछा,"मजा आया अदिति, खाना मज़ेदार लगा?"


अदिति ने मस्त हो कर अपनी जुल्फ़े झटक कर कहा,"ओ येस, बहुत मस्त लगा !"अदिति का हाथ सुनील ने थाम लिया था, अब उसने अदिति की पीठ पर सहला कर कहा,"सच कुछ और भी चाहिए तो बोलो..."


"ओह नो सुनील, बस मस्त मजा आ रहा है।""अरे बताओ ना, मेरी मेहमान हो, खातिर करने का मौका अब ना जाने कब मिले !"'और क्या खिलाओगे?" अदिति ने अपनी नजरें तिरछी करके कहा। "जो आप कहें, कहिये क्या खायेंगी आप?" सुनील ने अदिति का हाथ दबा दिया।


अदिति के जिस्म में एक कसक सी अंगड़ाई ले रही थी, अचानक उसके मुँह से निकल पड़ा,"अभी तो फ़िलहाल, आपका ये खड़ा लण्ड..." उसका कुछ पुलिसिया अन्दाज था।


"यह तो कब से आपके स्वागत में तैयार खड़ा हुआ है, आपको सेल्यूट मार रहा है।"अदिति का नशा गहरा होता जा रहा था। उसकी चूत भी फ़ड़कने लगी थी। उसे तो एक जवान लण्ड मिलने वाला था।


"जरा मुआयना तो करा दे अपने लण्ड का, जरा साईज़ वाईज़ देखूँ तो..."सुनील ने तुरन्त अपना लौड़ा बाहर निकाल दिया। अच्छे साईज़ का लण्ड था..."ये हुई ना बात ... ले मेरी चूत में फ़ंसा कर देख, मादरचोद घुसता है कि नहीं।"उसके मुख में पुलिस वाली गाली निकलने लगी थी।


"तो जनाब अपनी चूत तो हाज़िर करो ... अभी ट्रायल दे देता हूँ..."


सुनील ने उसे एक झटके से अपनी बाहों में उसे उठा लिया और सामने बिस्तर पर पटक दिया। उसकी जींस और टॉप उतार दिया। कुछ ही देर में सुनील भी मादरजात नंगा खड़ा था।


"चल इसका जरा स्वाद तो चखा दे, आ जा ! दे मुँह में लौड़ा !"


सुनील ने अपना लण्ड उसके मुख में डाल दिया। सुनील ने भी अदिति की कोमल चूत देखी और उस पर झुक गया। अदिति सिहर उठी... सुनील की लपलपाती जीभ उसकी कभी गाण्ड चाट रही थी तो कभी चूत के खड्डे में घुसी जा रही थी। उसका दाना जरा बड़ा सा था, जीभ से उसे हिलाना आसान था। वो आनन्द के मारे अपनी चूत उछालने लगी थी।


"ओह... अब लण्ड खिलाओगे ... चूत को मस्ती से खिलाना कि उसे मजा आ जाये।""मां कसम, तुम पुलिस वालों को चोदने में बड़ा आयेगा... सुना है बड़ी टाईट चूत होती है।""उह्ह्ह, किस ख्याल में हो, पुलिस तो बदमाशों की मां चोद देती है ... चल रे तू मुझे चोद दे।"अदिति ने अपनी टांगें चौड़ा दी... उसकी चिकनी चूत पूरी खुल गई।


मेरा लाल सुपाड़ा और उसकी लाल चूत का मिलन कितना मोहक होगा, यह सोच कर ही सुनील तड़प उठा। वो अदिति के नीचे बैठ गया और लण्ड को हाथ में लेकर उसकी चूत से चिपका दिया।"अब खा भी लो जान, मुँह फ़ाड़ कर गप से खा जाओ।"


अदिति ने देखा सारी सेटिंग ठीक है तो अपनी कमर धीरे से उछाल कर लण्ड चूत में खा लिया और चीख सी उठी।


"हाय राम ... कितना मोटा है... पर मस्त है ... दे जोर से अब !"


सुनील ने अपना लण्ड जोर डाल कर उसे पूरा घुसा डाला। अदिति ने जोर से मस्ती में अपनी आंखें बन्द कर ली। उसके जबड़े उभर आये ... मुख खुला का खुला रह गया।"चोद डाल हरामजादे ... लगा जम कर ... फ़ाड़ डाल ! तेरी भेन को चोदूँ।""अरे ये पुलिस थाना नहीं है, सुनील का मस्त बिस्तर है।"


"मां चुदाई तेरे बिस्तर की, दे हरामी ... घुसेड़ ... और जोर से ... चोद डाल।"


अदिति मस्ती में पागल हुई जा रही थी। वो अपने असली पुलीसिया अन्दाज में आ चुकी थी। सुनील भी इसी आनन्द में डूबा हुआ था। उसका मोटा लण्ड अदिति को दूसरी दुनिया की सैर करवा रहा था। दोनों आपस में गुंथे हुये थे, अदिति की चूत की कस कर पिटाई हो रही थी। वो तो और जोर से अपनी चूत पिटवाना चाह रही थी। अदिति के दांत भिंचे हुए थे, चेहरा बिगड़ा हुआ था, आंखें बन्द थी, जबड़े बाहर निकले हुये थे ... सुनील के हाथ उसके कड़े स्तनों का मर्दन कर रहे थे।


"तेरी मां की फ़ुद्दी ... भोसड़ी वाले ... दे लौड़ा ... मार दे मेरी ... मादरचोद... दे ... और दे ... लगा जोर, फ़ाड़ दे मेरी, तेरी भेन को लण्ड मारूँ ...ईइह्ह्ह्ह्ह्... दे ... जोर से मार !"


सुनील इन सब बातों से बेखबर अन्यत्र कहीं स्वर्ग में विचरण कर रहा था, बस जोर जोर से उसकी चूत पर अपना लण्ड पटक रहा था।


अदिति का नशा आखिर चूत का पानी बन कर बह निकला। उसने एक गहरी सांस भरी और सुनील का लण्ड हाथ में ले कर मलने लगी।


"अरे नहीं अभी इसमें दम बाकी है...।""तो दम कहाँ निकालोगे ...?"


सुनील ने पीछे जाकर उसके मस्त पुटठों पर अपने हाथ फ़िरा दिये। अदिति ने उसे मुस्करा कर घूम कर देखा। सुनील ने अपनी कमर आगे करके अपना खड़ा लण्ड उसकी गाण्ड से चिपका दिया। उसके नितम्ब सहलाने लगा। उसकी मांसल जांघें उसे आकर्षित कर रही थी। अदिति उसी मुद्रा में झुकी हुई उसके लण्ड के स्पर्श का आनन्द ले रही थी। उसके चूतड़ों के खुले हुए पट लण्ड को छेद तक रगड़ने का मजा दे रहे थे।"इरादा क्या है मिस्टर?"


"बस एक बार तुम्हारी सलोनी मांसल गाण्ड बजा देता तो तमन्ना पूरी हो जाती।""मुझे जाने देने का विचार नहीं है क्या ? गाड़ी छूट जायेगी !"


"गाड़ी तो सुबह भी जाती है ना, पर ऐसा मौका मिले ना मिले फिर?"अदिति नीचे घुटनो के बल बैठ गई, लण्ड उसके सामने था।"तुमने मजबूर कर दिया जानू !"


"मैंने नहीं, मेरे इस लण्ड ने मुझे मजबूर कर दिया !" सुनील ने कहा।अदिति ने लण्ड को घूर कर कहा," क्यूँ लण्ड मियां, मेरी गाण्ड मारे बिना नहीं मानेंगे आप?"फिर स्वयं ही लौड़े को हिला कर ना कह दिया।


"तो जनाब लण्ड महाराज मेरी गाण्ड आप जरूर मारेंगे !" फिर उसे ऊपर नीचे हां की मुद्रा में हिला कर अपने मुख में ले लिया। कुछ देर चूसने के बाद अदिति ने क्रीम लेकर अपनी गाण्ड में भर ली, फिर वो हाथों के बल झुक कर घोड़ी बन गई। सुनील ने अपने लण्ड पर भी क्रीम लगा कर अदिति की गाण्ड पर लगा दिया। उसने अदिति का दुपटटा लिया और उसकी कमर पर बांध दिया। उसे पकड़ कर उसने अपने अपना लण्ड अदिति की गाण्ड में घुसेड़ दिया, घुड़सवार जैसे बन कर उसकी गाण्ड को पेलने लगा। फिर उसके हाथ भी कमर के पीछे लेकर बांध दिये और सटासट चोदने लगा।


"अभी तक तो हम पुलिस वाले चोरों के हाथ बांध कर मारा करते थे, तुमने तो मेरे हाथ बांध कर मेरी ही गाण्ड मार दी, भई मान गये तुम्हें !"


सुनील ने अदिति की गाण्ड जम कर मारी, फिर अन्त में उसे सीधी करके तबीयत से चोद भी दिया। अदिति का सारा कस-बल निकल चुका था।


गाण्ड मरा कर अदिति सो गई और सुनील उसी बिस्तर पर अदिति के साथ ही सो गया। सवेरे सुनील की नींद खुली तो देखा अदिति और वो खुद दोनो ही नंगे थे। सुनील ने अदिति को जगाया और सामने उठ कर खड़ा हो गया। उसका सोया हुआ लण्ड हाथी की सूंड की तरह लटक रहा था। सुपाड़ा जरूर चमक रहा था। अदिति ने एक भरपूर अंगड़ाई ली और अपने दोनों बोबे ठुमका दिए।


सुनील बोला,"जल्दी से तैयार हो जाओ !"पर अदिति की निगाहें सुनील के लण्ड पर ही थी। अदिति को देख कर सुनील का लण्ड फिर से फ़ूलने लगा और फिर से टनाटन हो गया। अदिति उठ कर सुनील के सामने आ गई।


"अब ये महाशय तो मुझे फिर से सलामी दे रहे हैं !""तो अदिति सलामी कबूल कर ही लो !"


अदिति एक बार घुटनों के बल बैठ गई और उसके झूमते लण्ड को एक थप्पड़ मार कर कहा,"मियां, तुम तो ऐसे भी खुश और वैसे भी खुश, चाहे अगाड़ी हो चाहे पिछाड़ी, तुमको को तो बस कोई छेद चाहिये, है ना ?

"फिर लण्ड को हिला कर बोली," क्या कहा ...हां, तो लो ये पहला छेद, " उसने अपना मुख खोल कर लण्ड को मुख के अन्दर डाल दिया।


"वाह... क्या रस है ..." फिर उठ कर सुनील से चिपक गई।

"अदिति, देखो मेरा मन फिर से डोल रहा है, चोद डालूंगा !""तो क्या हुआ, चोद डालो, गाड़ी तो शाम को भी जाती है।"


और दोनों खिलखिला कर हंस दिये। खिलखिलाहट ज्यादा देर नहीं चली, क्योंकि अदिति की चूत में सुनील का मोटा लण्ड एक बार फिर घुस चुका था। अब मात्र सिसकारियाँ ही गूंज रही थी।

एक रात नंदोई सा के साथ



दोस्तो, मेरा नाम उर्वशी है और मैं जयपुर, राजस्थान की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र इकीस साल है, एक बच्चे की माँ हूँ, शादी के ठीक ग्यारवें महीने मैंने लड़का जना है। आजकल घर में रहती हूँ, सासू माँ और मैं दोनों अकेली होती हैं। 


एक साल पहले में बी.ए पहले साल में थी जब माँ-बापू ने लड़का ढूंढ कर मेरी शादी पक्की कर दी। हमारे समाज में छोटी उम्र में शादियाँ होती हैं। शादी से पहले मेरे ३ लड़कों के साथ चक्कर रहे थे और तीनों के साथ मेरे शारीरक संबंध बने और मुझे चुदाई का पूरा पूरा चस्का लगा। पहली चुदाई प्रेम नाम के लड़के के साथ हुई जब मैं अठरा साल की थी। उसके बाद दो और एफेअर चले।


मुझे लड़के की फोटो दिखाई गई थी। शादी से बीस दिन पहले मेरा घर से आना जाना बंद हो गया था और चुदाई भी !


हालांकि एक चक्कर मेरा पड़ोसी के साथ था, वो मुझसे शादी करना चाहता था लेकिन हम मजबूर थे क्योंकि एक गाँव में शादी मुश्किल काम था।


शादी से तीन रात पहले उसने मुझे रात को कॉल कर छत पर बुलाया। उस वक्त रात के दो बजे थे। मिलते ही उसने मुझे दबोच लिया और मेरे होंठ चूसने लगा, साथ में उसने अपना हाथ मेरी सलवार में डाल मेरी चूत को मसलना चालू कर दिया। मैं पूरी गर्म हो गई और उसके लौड़े को मसलने लगी। उसने अपना लौड़ा बाहर निकाल दिया और मैंने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।


वो बोला- जान, कुर्ती उठा लो, आज आखिरी बार इतने गोल मोल मम्मे चूसने हैं !मैंने कहा- ऐसा मत कहो ! मैं आती रहूंगी मायके ! मिलकर जाया करुँगी !


उसके बाद मैंने सलवार खोल दी और उसने वहीं फर्श पर मुझे ढेर कर लिया और अपना लौड़ा चूत में डाल रफ़्तार पकड़ी। एक साथ ही हम शांत हुए और उसने मुँह में ठूंस दिया।


अगले दिन शगुन की रसम होनी थी। हमारे इधर सुबह पहले लड़की वाले लड़के को शगुन लगाने जाते हैं और साथ में दहेज़ का जो भी सामान देना, भेजना हो वो सब कुछ ले जाते हैं!सभी शगुन लगाने चले गए, पीछे मैं और दादी माँ थी।


उसके बाद शाम को लड़के की बहनें, भाभियाँ और उनके पति लड़की को शगुन की चुन्नी, गहने, सिंगार के सामान साथ मेंहदी लगाने आई। उनमे से मेरी नज़र बार बार एक मर्द पर टिकने लगी वो भी मुझे देख वासना की ठंडी आहें भर रहे थे।


शगुन डालते वक्त फोटो होने लगी तो मालूम चला वो मेरे एक नंदोई सा हैं। क्या मर्द था ! मैं मर मिटी थी ! वो भी जानते थे, उन्होंने इधर उधर देख मुझे आंख मारी, मैं होंठ से चबाते हुए मुस्कुरा दी।


मैं अपने कमरे में कपड़े बदलने चली गई, लहंगा भारी था, कमरा बंद किया पर अपने कमरे से बाथरूम की कुण्डी लगाना भूल गई। मैंने जल्दी से कुर्ती उतारी और लहंगा खोला। दरवाज़े की तरफ मेरी पीठ थी। जैसे ही मैं सिर्फ ब्रा-पैंटी में रह गई तो एक आवाज़ आई- क्या हुसन पाया है ! क़यामत !


मुड़ कर देखा तो सामने नंदोई जी थे, बोले- बाथरूम मेरे कमरे के साथ जुड़ा है। उसका एक दरवाज़ा लॉबी में भी खुलता है।


मैंने कमरे में नंदोई सा को देख झट से तौलिये से खुद को छुपाया। वो मेरी ओर बढ़े, मैं पीछे हटी, आखिर में बेड पर गिर गई। वो मेरे ऊपर आ गए और मेरे तपते होंठों से अपने होंठ मिला दिए। उन्होंने ड्रिंक की हुई थी।


प्लीज़ ! मुझे सबके बीच वापस लौटना है ! बाद में कभी !


बोले- पहले गर्म करती हो ! फ़िर मना करती हो? वो दोनों हाथों से मेरे मम्मे दबाने लगे, मुझे कुछ होने लगा, मेरी चूत मचल उठी और मैंने उनके लौड़े को पकड़ लिया। जब वो मेरा दाना मसल देते तो मैं मचल उठती !


थोड़ी देर में खुद ही वो अलग हो गए बोले- भाभी कल सही !


अगले दिन मैं दुल्हन बनी। पार्लर से दुल्हन बनकर पहुंची पैलेस ! पापा ने शहर का सबसे महंगा पैलेस बुक किया था। हमारे इधर शादी दिन में होती है। बारह बजे बारात आई, मिलनी की रसम के बाद नाश्ता हुआ। फिर स्टेज पर जयमाला हुई। काफी देर वहीँ बैठे। सबने शगुन वगैरा डाला, फोटो खिंचवाई।


ऊपर मंडप तैयार था। आज नंदोई सा बहुत ज्यादा हैण्डसम लग रहे थे। बहुत बढ़िया डी.जे कार्यक्रम का प्रबन्ध किया था पापा ने ! एक तरफ दारु भी चलवा दी ताकि जिसको मूड बनाना हो बना ले ! वैसे भी मेरे ससुराल में सभी शादी-बियाह में पीते ही थे।


खैर मंडप पर मुझे दीदी, भाभी, सहेलियाँ लेकर गईं और फेरों के बाद मंगल सूत्र पहनाया गया। दूल्हे के बराबर नंदोई सा उसकी हर रसम में मदद कर रहे थे ताकि उसको कोई घबराहट न हो ! इधर मुझे भाभी सब बताये जा रहीं थी। नंदोई सा मेरी भाभी पर भी लाइन मार लेते।


शाम पाँच बजे तक सब ख़त्म हुआ, उसके बाद मेरी डोली उठी और मैं गुलाबों से सजी कार में बैठ ससुराल आ गई। मांजी ने पानी वारने की रसम पूरी की। मुझे भाभी और इधर वाली दीदी अलग कमरे में ले गईं। मुझे कहा कि कपड़े बदल कर फ्रेश हो जाओ।


बाहर लॉन में सब नशे में धुत हो नाच-गा रहे थे। शगुन मांगने वालो की लाइन लगी पड़ी थी, ससुरजी और नंदोई सा तो उनको ही सम्भाल रहे थे।


रात हुई, दीदी बोली- एक सरप्राईज़ बाकी है !


कुछ पल के लिए पतिदेव पास आये, बोले- बहुत आग लग रही हो !उन्होंने पी रखी थी, नशा काफी था, होंठ चूसने लगे। बोले- बदल लो कपड़े !उन्होंने मेरा लाचा खोला, फिर कुर्ती की डोरी खींची और अलग कर दी, पीठ पर चूम लिया।मैं सिकुड़ सी गई।


अब दोनों आओ भी ! गाने की रसम पूरी करनी है !


पति ने मेरे मम्मे दबाये और मैंने भी सूट पहन लिया और बाहर गए। वहाँ पंरात में कच्ची लस्सी में सिक्का गिरा कर ढूंढने की रसम हुई। उसके बाद दीदी बोली- तेरे नंदोई सा ने तुम दोनों के लिए फाइव स्टार में स्वीट बुक किया है !


पतिदेव को काफी नशा हो चुका था, दीदी ने नंदोई सा को उन्हें और पिलाने से रोका। कार में बैठ कर भी उनको काफी नशा था। नंदोई सा हमें छोड़ने आये। पहले नीचे पूरा डाइनिंग हॉल हम तीनों के लिए बुक था। मेरे लिए तब तक कोल्ड ड्रिंक आर्डर की, उन दोनों ने लिए मोटे पटियाला पैग ! दो पैग के बाद पतिदेव लुढ़क गए। मैं कुछ-कुछ समझ गई।


बस करिए न आप ! कितनी पिओगे ?


भाभी जान ! आज ही तो पीने का दिन है ! खाना खाया, नंदोई सा ने मुझे कमरे की चाभी गिफ्ट की और रूम सर्विस वाला मुझे कमरे तक लेकर गया। कमरा खोलते वक्त देखा- हाथ में दो चाभियाँ थीं- ४०५ और ४०७ वो दोनों भी आ गए !


जाओ भाई अपनी दुल्हन के पास ! सुहागरात मनाओ !इनको बहुत ज्यादा पिला दी गई थी। कमरे तक आते वक्त तक दारू हाथ में थी। उतनी ही नंदोई सा ने पी लेकिन वो हट्टे-कट्टे थे।


ये तो बिस्तर पर लेटते सो गए। मैं वाशरूम गई। पहली रात के लिए सबसे महंगी नाइटी खरीदी थी, उसी रंग की ब्रा और पैंटी ! बदल कर वापस आई ! लाल गुलाबों वाले बिस्तर पर में इनके साथ लिपटने लगी, सोचा कि इस से नशा कम होगा। शर्ट उतार दी लेकिन इन्हें कोई होश न था।


तभी मुझे मोबाइल पर कॉल आई- कैसी हो जान ? मुझे मालूम है कि क्या हो रहा होगा ! ऐसा करो, हाउस-कीपर ने दो चाभी दी थी ना ! इसकी सुबह से पहले नहीं उतरेगी। बाहर से लॉक करो और इधर आ जाओ ! लेकिन मैं नाइटी में हूँ !


कोई बात नहीं ! रात के बारह बज चुके हैं, इन कमरों में कम लोग ही आते हैं ! मैं उठी, इनको हिलाया, कमरा लॉक किया और नंदोई सा के कमरे में चली गई।


वाह भाभी ! क्या खूबसूरती है ! मदहोश कर देने वाली !यह आपने क्या किया? इनको इतनी पिला दी?


वो उठे, मुझे बाँहों में लेते हुए बोले- क्या करता कल से तूने होंठ चबा और बाद में कमरे में जवानी दिखाई ! आप बहुत खराब हो !


मेज़ पर शेम्पेन और बियर पड़ी थी, मुझे कह कुहा कर बियर पिला दी उसके बाद अपनी मर्ज़ी से मग भर पिया। वो मुझे सोफा पर बिठा बीच में बैठ मेरे स्तनपान करने लगे। सिसकियाँ फूटने लगी, मैंने पाँव से उनके लौड़े को मसल दिया।


इतने में दीदी की कॉल आई नंदोई सा को !उस वक्त मैं उनकी गोदी में अधनंगी बैठी थी।


कहाँ रह गए आप? सब ठीक तो है?


हाँ, उन दोनों को भेज दिया जान कमरे में ! इसने ज्यादा पी ली है ! सहारा देकर छोड़ कर नीचे आया हूँ ! बेचारी उर्वशी घबरा गई है, इसलिए उन्हें कुछ बताये बिना मैं अपने दोस्त के साथ नीचे बार में हूँ, कहीं साला साहिब कोई गलती ना कर दें !


दीदी बोली- कोई बात नहीं ! सही किया आपने ! खुद मत पीना !और फ़ोन साइलेंट पर लगा दिया मेरी दोनों टांगें खोल मेरी चूत जो कि सुबह ही शेव करवाई थी, उसपे होंठ रख दिए। मैं भड़क उठी। सोफ़े पर कोहनियों के सहारे उठ कर चूत चुसवाने लगी। अह उह सी !


मेरी जान क्या चूत है तेरी ! क्या जवानी है ! बाग़ लगा है माली भी ज़रूर रखें होंगे !मैं शरमा सी गई !


उठा मुझे बिस्तर पर लिटा दिया !मेरे मम्मो पर बियर डाल डाल कर चाटने लगे।वाह नंदोई सा ! और चाटो ! मसलो इनको !


भाभी, कसम से तेरे जैसी जवानी वाली लड़की नहीं चोदी !दीदी भी सुन्दर हैं !हैं, लेकिन मेरे इस चाँद के सामने उसका रंग भी फीका है !


बातें करते हुए मैंने उनको निर्वस्त्र कर दिया, उनको बेड पर धकेलते हुए उनके कच्छे को उतार उनके लौड़े पर एख दिए अपने कांपते होंठ !


इतना लम्बा लौड़ा नंदोई सा?मैंने भी कसम से अभी तक इतना मोटा और लम्बा नहीं उतरवाया चूत में !


ओह मेरी रानी, दिलबर ! कस के चूस इसको !मैं नशे में थी, कुछ भी बके जा रही थी, मैंने ६९ में लेटते हुए उनके लौड़े को चूसा और अपनी चूत को खूब चुसवाया।


नंदोई सा ! अब रुका नहीं जा रहा ! आओ अपनी भाभी के पास और उतर जाओ गहराई में !ओह बेबी !


मैंने टांगें खोल लीं, वो बीच में आये और मैंने अपने हाथ से पकड़ लौड़ा ठिकाने पर रख दिया। उन्होंने जोर लगाया और उसका सर अन्दर घुस गया। काफी मोटा था लेकिन बेडशीट को जोर से पकड़े मैंने उनका सारा अन्दर डलवा लिया।


ओह भाभी ! वाह, क्या चूत है तेरी साली ! कितनी चिकनी है ! तू देख तेरा नंदोई बहिन की लोड़ी आज रेल बनाता है तेरी !


आह ! रगड़ो ! और रगड़ो ! फाड़ दो मेरी ! हाय ! मेरे कुत्ते चोद अपनी कुतिया को !मेरे मुँह से यह सुन उनमें जोश भर गया- बहनचोद ! देखती जा साली रांड कहीं की ! यह ले मादरचोद ! यह ले !


उई उई ई ई तू ही असली मर्द है कमीने ! तेरा लौड़ा ही सबसे अच्छा है ! कुछ देर उसी आसन के बाद दोनों टाँगें कन्धों पर रखी, जिससे पूरा लौड़ा जाकर बच्चेदानी से रगड़ खाता तो मुझे स्वर्ग दिखता !


उसके बाद मुझे घोड़ी बना लिया और ज़बरदस्त झटके लगने लगे।और तेज़ तेज़ !साथ में खाली बियर की बोतल मेरी गांड में घुसाने लगे।


हाय साले ! यह क्या करने लगा है ! चल साली कुतिया ! मेरे बाल खींच !गांड पर थप्पड़ मारा और बोतल एक तरफ़ रख दी। एक पल में लौड़ा चूत से निकाला और गांड में डाल दिया !


ओह हा और और ! बहुत बढ़िया !मेरी गांड मारने लगे, साथ में मेरे दाने को चुटकी से मसल रहे थे। एक साथ में मेरा मम्मा पकड़ रखा था। फिर चूत में डाल लिया और तेज़ होने लगे। मैं झड़ने वाली हूँ !


अह अह ऽऽ ले साली ! साली ले ! कहते कहते उन्होंने मेरी चूत में अपना पानी निकाल दिया, मेरी बच्चेदानी के पास गरम पानी छोड़ा, जिससे मुझे अता आनंद आया।बाकी का मैंने मुँह में डाल साफ कर दिया।


साढ़े तीन के करीब दोनों बाथरूम गए, शॉवर लिया, मैंने कपड़े डाले और अपने कमरे में आई, पूरे बिस्तर पर सलवटें डाल दी और गुलाबों को बिखेर दिया। सारे कपड़े उतार दिए, सिर्फ पैंटी छोड़ कर ! पति को जाते वक्त ही मैंने अंडरवियर छोड़ निर्वस्त्र कर दिया था। उनके पास लेट गई, उनकी बाजू अपने ऊपर डाल दी, सो गई।


सुबह के सात बजे अपने ऊपर किसी को पाया- पतिदेव थे ! मैं सोने की एक्टिंग करने लगी, उन्होंने प्यार से मुझे उठाया, मैं चुपचाप बाथरूम गई रूठने की एक्टिंग करते हुए !जान क्या हुआ?


इतनी पी ली थी? क्यूँ सोचा नहीं था कि मेरी बीवी के साथ पहली रात है ! नशे में रौंद दिया आपने मुझे ! अंग अंग हिला दिया !सॉरी ! आगे से ऐसा नहीं होगा ! आपने बिना प्रोटेक्शन के मेरे साथ सब कर दिया ! अभी हमने एन्जॉय करना है अगर अभी गर्भवती हो गई तो?कल से हम बाहर निकाल लिया करेंगे, आज किस्मत पर छोड़ दो !


उसके बाद अगली रात पतिदेव ने चोदा। आज कम पी रखी थी, घर में थे, झड़ने के समय बाहर खींच मेरे मुँह में डाल दिया !


दोस्तो, यह थी मेरी मस्त चुदाई जो हर पल मेरी आँखों में रहती है !


उसके बाद मौका देखा एक बार और नंदोई सा ने चोदा ! शादी के अगले महीने ही मेरी माहवारी रुक गई, मुझे चक्कर आये, डॉक्टर ने खुशखबरी सुना दी।


रात को मैंने पति से ऊपर से खफा होते कहा- देख लिया उस रात का नतीजा ?लेकिन चल छोड़ कोई बात ना ! किस चीज़ की कमी है हमें !


यह गर्भ नंदोई सा के कारण ठहरा था। पहली ही रात तीन बार अपना माल मेरी बच्चेएदानी के पास छोड़ा था ! था भी इतना लम्बा कि मानो अन्दर घुसकर बच्चा डाल आये !


उनको मैंने फ़ोन पर बताया कि इनका पानी मैंने कभी अन्दर नहीं डलवाया, हमेशा गांड में या मम्मों पर ! सिर्फ आपका पानी अन्दर डलवाया था।नशे में वो बहुत खुश हुए।


अब जब मैंने लड़का जना है, सासु माँ बहुत खुश हैं, पति भी नंदोई सा ने बुआ की तरफ से मेरे बेटे को चार तोले सोने की चैन, कड़ा, डायमंड का लाकेट डाला !फिर बताऊँगी आगे लाइफ में क्या हुआ !